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हां मैं उस देश की बेटी हूं , हां मैं उस देश की बेटी हूं
जहां पत्थरों में भी भगवान देखे जाते हैं
जहां आज भी स्त्री में सीता और नर में नारायण देखे जाते हैं
जहां आज भी सुबह बड़े बुजुर्गों के आशीर्वाद से होती है
जहां आज भी सुबह की पहली रोटी गाय को दी जाती है
जहां आज सुबह आरती की आवाज सुनाई जाती है
जहां आज भी शुभ काम के लिए दही शक्कर खिलाया जाता है
जहां आज भी बड़ों के पैर छूकर ही घर से जाया जाता है
जहां आज भी मां के बनाए पराठों की खुशबू दूर तक आती है
जहां आज भी मंदिरों की घंटियों की आवाज सुनाई देती है
जहा आज भी शिवजी जी को गंगाजल से मिलाया जाता है
तेरे मेरे का बहाव नहीं यहां हम हम का नारा है
जहां आज भी भाई-बहन रक्षाबंधन मनाते हैं
जहां आज भी गोलगप्पे खाने सब टोली में जाते हैं
जहां आज भी लड़की अपनी शादी की बात में शर्माती है
जहां आज भी लड़के वाले लड़की देखने जाते हैं
जहां आज भी बड़ों के फैसलों में छोटे सर झुकाते हैं
जहां आज भी दूसरों के गम में आंसू बहाए जाते हैं
जहां आज भी बड़े छोटे को स्नेह से बुलाते हैं
जहां आज भी ज्यादा काम जुगाड़ से हो जाते हैं
जहां आज भी रात को मां के पैर दबाए जाते हैं
जहां आज भी पापा के सर में तेल लगाया जाता है
हां मैं उस देश की बेटी हूं
जहां पत्थरों में भी भगवान देखे जाते हैं
–SONIA BHATT
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